अनोखी दोस्ती
अनोखी दोस्ती अंतिम भाग
दोस्तों अभी तक आपने पढ़ा
सिया कोयल को विनय के यहांँ हुई हर घटना से परिचित करवाती है।
कैसे विनय के मां-बाप परेशान हुए सिया ने कैसे कोयल का बदला लिया
विनय की मम्मी विनय की बर्बादी और नहीं देख पाए। विनय तो हर समय शराब में डूबा रहता था और अपने पिताजी के लिए दवाई लाने से भी मना कर दिया ।
अपनी मां को दुत्कार कर बोला" इनको लेकर वृद्ध आश्रम लेकर चली जाओ मैं कुछ नहीं कर सकता"।
परेशान होती हुए कोयल बोली "इतना सब कुछ हो गया मैं तो सोच रही थी विनय और तुमने शादी कर ली होगी और तुम दोनों मजे से रह रहे होंगे"।
विनय कहाँ है? विनय कैसे हैं अब!
सिया विनय जी रिहैबिलिटेशन सेंटर में है जो कुछ उसके साथ हुआ शायद उसके बाद उसका यही हाल होना था डॉक्टर बोलते हैं विनय में अब जीने की बिल्कुल इच्छा नहीं बची है।
इतना सुनते ही कोयल की आंखों में आंसू बहने लगे वह विनय मुझसे बहुत प्यार जो करती थी।
कोयल क्या तुम मुझे उनके पास ले जा सकती हो" हांँ हांँ क्यों नहीं किया सिया!"
अगले दिन कोयल अपने बेटे को लेकर विनय को देखने पहुंँच गई।
विनय विनय !'तुमने यह क्या हालत बना रखी है अपनी 'मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकती।
यह देखो तुम्हारा बेटा राघव
कोयल विनय का माथा सहलाती हुई बोली। विनय तुम जल्दी ठीक हो जाओगे।
विनय" मेरा बेटा!"
सिस्टर अरे" यह 5 साल में पहली बार कुछ बोले हैं"।
अपनी पत्नी और बच्चे को देखकर विनय पहली बार कुछ बोला ।
अब उन दोनों को देखकर उसके अंदर जीने की वापस इच्छा होने लगी। और उस में धीरे-धीरे सुधार होता चला गया सच कहा है प्रेम तो ऐसी चीज है जो बंजर को भी उपजाऊ बना दे सोए हृदय में भी प्यार जगा दे अपने जज्बातों का मोल बता दे।
धीरे धीरे विनय ठीक होता चला गया। कोयल अपने बेटे राघव के साथ रोज विनय से मिलने आती ।
अब विनय पूरी तरह स्वस्थ हो गया।
सिया ने भी वह घर कोयल के नाम कर दिया। उसको घर से कोई लालच नहीं था वह तो सिर्फ इन लोगों को सबक सिखाना चाहती थी।
कोई भी लड़की खराब नहीं होती। काली गोरी से क्या होता है उसका दिल देखना चाहिए।
सब घर जाने लगते हैं कोयल अपने सास-ससुर के पास वृद्ध आश्रम आती है।
और उनसे बोलती है आप घर चलिए।
रेखा और रमेश बोलते हैं। बेटा "हम तुम्हारे गुनाहगार हैं। तुम और विनय अपनी जिंदगी की शुरुआत करो और खुश रहो हम यहां अपने ही साल में ही खुश हैं हमें अपने किए की सजा भुगतने दो"।
राघव और कोयल बोलते हैं ,हम तुम्हारे बिना घर नहीं जाएंगे" दादा दादी जी प्लीज आप घर चलिए हम सब मिलकर साथ रहेंगे"।
राघव और कोयल की बहुत जिद करने के बाद रेखा और रमेश घर आते हैं।
अब रेखा कोयल को बदसूरत कलमुही नहीं बल्कि घर की लक्ष्मी और बेटी के घर बुलाती हैं सबके साथ मिलकर रहने से घर में खुशियों का माहौल आ जाता है।
कोयल और विनय की सेवा करने से रमेश जी भी थोड़ा-थोड़ा ठीक होने लगते हैं।
दोस्तों के सहयोग से कोयल का घर बस गया ऐसे दोस्त हर किसी को कहां नसीब होते हैं जो किसी का बिखरा हुआ घर बसाने में मदद करें।
दोस्तों की मदद और सेठ रायचंद और रीमा की सूझबूझ से कोयल का घर बस गया,।
दोस्त है तो दुनिया हसीन है,
तेरे मेरे मन की बात यही है ।
हम सब साथ होते हैं ,
वक्त पंख लगाकर उड़ जाता है ।
हर परेशानी का हल वही लाता है।
कृपया अपनी सुंदर समीक्षाओं से मेरा उत्साह बढ़ाना न भूलें।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
14.6.2023
hema mohril
02-Jul-2023 09:01 AM
Very nice
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सीताराम साहू 'निर्मल'
15-Jun-2023 05:48 PM
👏👌
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वानी
15-Jun-2023 10:33 AM
Nice
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